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Kaithi Lipi बिहार में भूमि सर्वेक्षण में उर्दू और कैथी लिपि में लिखे गए दस्तावेजों से परेशानी हो रही है क्योंकि अधिकांश कर्मचारियों और रैयतों को इन लिपियों का ज्ञान नहीं है। इससे विवाद उत्पन्न हो रहे हैं। जानकार लोग अनुवाद के लिए मोटा पैसा ले रहे हैं। पहले दर्ज जमीन के दाखिल खारिज नहीं होने से भी समस्या हो रही है।

पटना। बिहार सरकार के द्वारा कराए जा रहे भूमि सर्वे में उर्दू व कैथी लिपि में लिखे गए दस्तावेज परेशानी और विवाद के कारण बन रहे हैं। स्थिति यह बनी हुई है कि भूमि सर्वे में लगे अधिकतर कर्मचारियों को उर्दू व कैथी लिपि का ज्ञान नहीं है और रैयत भी अब इस लिपि को पढ़ने में असमर्थ हैं।

ऐसी जमीन के दस्तावेज में लिखे गये तथ्यों को जानकारी पाना एक बड़ी समस्या बन गयी है। वर्तमान में क्षेत्र में इसकी जानकार भी कम है। क्षेत्र में इक्का-दुक्का जो इसके जानकार रह गये हैं ये भी काफी वृद्ध हो गये हैं।

कागज पुराना होने के कारण जमीन के दस्तावेज पढ़ने में वे भी असमर्थ है। ऐसे में जमीन सर्वे के दौरान उर्दू व कैथी के जानकार बन कई लोग मोटा पैसा लेकर अनुवाद कर रहे हैं। ये भविष्य में बड़े विवाद के कारण बन सकते हैं। वहीं, दूसरी तरफ पूर्व में दर्ज जमीन तो लिखवा लिए हैं, लेकिन उसका दाखिल खारिज नहीं हुआ है।

कागज भी मिल नहीं रहा है, इसको लेकर लोग रिकार्ड रूम में रोज चक्कर लगा रहे हैं। खासकर भूमि सर्वे के दौरान कैथी लिपि अनुवाद को लेकर रैयत इधर-उधर चक्कर लगा रहे हैं। काफी परेशानी हो रही है

सबसे पहले कैथी लिपि के बारे में जानिए

बता दें कि पुरानी कैथी लिपि में खतियान होने से इसे पढ़ पाना कठिन हो रहा है। ऐतिहासिक ब्राह्मी लिपि कैथी को कायथी या कायस्थी भी कहा जाता है। इसका उपयोग 600 ईसवी से शुरू होने का अनुमान है। देश में मुस्लिम शासकों के काल में कायस्थ समुदाय के लोग कैथी में ही जमीन से जुड़े दस्तावेज लिखते थे।

इनके अलावा, मुस्लिम उर्दू-फारसी में लिखते थे। इस तरह अंग्रेज शासनकाल से लेकर आजादी के बाद भी जमीनी दस्तावेज लेखन कैथी में चलता रहा। कैथी लिपि में अक्षरों के ऊपर शिरोरेखा नहीं होती है। इसमें सभी अक्षर एक साथ लिखे जाते हैं। इसमें हर्स्व ''इ'' और दीर्घ ''ऊ'' की मात्रा भी नहीं लगाई जाती।

इसमें संयुक्त अक्षर जैसे– ऋ, क्ष, त्र, ज्ञ, श्र आदि का प्रयोग नहीं किया जाता है। इतना ही नहीं, शब्द या वाक्य भी नहीं बनाया जाता है, इसीलिए आज इसे पढ़ने में कठिनाई आती है।

कैथी लिपि की विशेषताएं 

  •  यह लिपि दाएं से बाएं लिखी जाती है।
  •  कैथी लिपि में विभिन्न चिन्हों का प्रयोग किया जाता है।
  •  यह लिपि मुख्य रूप से सरकारी दस्तावेजों, पत्रों और व्यावसायिक लेखन में प्रयोग की जाती थी।

कैथी लिपि में लिखे दस्तावेज

कैथी लिपि का महत्व 

  •  कैथी लिपि भारत की सांस्कृतिक धरोहर का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है।
  •  यह लिपि भारत के इतिहास और साहित्य को समझने में मदद करती है।
  •  कैथी लिपि का अध्ययन भाषाविज्ञान और इतिहास के छात्रों के लिए महत्वपूर्ण है।

आजकल, कैथी लिपि का प्रयोग बहुत कम होता है, और इसकी जगह देवनागरी लिपि और रोमन लिपि ने ले ली है।

कई लोगों के दस्तावेज पर कैथी लिपी में लिखे अक्षर मिट गए

धनंजय कुमार झा नाम के जमीन के एक हिस्सेदार ने बताया कि उनके पिता, दादा और परदादा के नाम पर बने जमीन के कागज में भी सारे रिकॉर्ड कैथी लिपी में लिखे हैं। कुछ दस्तावेज पर तो लिखे अक्षर मिटने लगे हैं, जिससे अब प्रशिक्षित अमीन को भी पढ़ने में परेशानी होगी।

अनुवादक ने बढ़ा दी फीस, दलालों की कट रही चांदी

खगड़िया जिला के रहने वाले 60 वर्षीय धनंजय कुमार झा ने कहा कि जब सर्वे शुरू हुआ है तो कई परेशानी सामने आ रही है। दस्तावेज कैथी लिपि में है और देवनागरी में अनुवाद करने वाला नहीं मिल रहा है। पूरे जिले में कैथी लिपि जानकार ढूंढने से भी नहीं मिल रहे हैं। पहले अनुवाद के लिए प्रति पेज 300 से 400 रुपये मांगते थे, लेकिन अचानक से जबसे सरकार ने जमीन सर्वे करने का एलान किया तब से एक खतियान के अनुवाद के 15 से 20 हजार रुपये की मांग कर रहे हैं।