Janmashtami 2024: जन्माष्टमी पर पूजा के समय करें कुंजबिहारी जी की आरती, हर सुख की होगी प्राप्ति
जन्माष्टमी का पर्व हर वर्ष भाद्रपद माह के कृष्ण पक्ष की अष्टमी तिथि पर मनाया जाता है। इस शुभ अवसर पर जग के नाथ भगवान श्रीकृष्ण की विशेष पूजा की जा रही है। धार्मिक मत है कि भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने से साधक की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं। साथ ही जीवन में खुशियों का आगमन होता है।
जन्माष्टमी का त्योहार देशभर में धूमधाम से मनाया जा रहा है। मंदिरों को भव्य तरीके से सजाया गया है। साथ ही जगत के पालहार की विशेष पूजा-आरती की जा रही है। साधक अपने घरों पर कृष्ण-कन्हैया की पूजा-उपासना कर रहे हैं। 'हाथी घोड़ा पालकी, जय कन्हैया लाल की' राधे-राधे के उद्घोष से पूरा वातावरण भक्तिमय हो रखा है। मथुरा समेत पूरे ब्रज में के लिए विशेष तैयारी की गई है। भगवान श्रीकृष्ण की पूजा करने से साधक को मनोवांछित फल की प्राप्ति होती है। साथ ही जीवन में व्याप्त दुख एवं संकट दूर हो जाते हैं। अगर आप की कृपा के भागी बनना चाहते हैं, तो विधि विधान से कृष्ण कन्हैया की पूजा करें। साथ ही पूजा के दौरान कृष्ण चालीसा का पाठ, मंत्र जप एवं स्तोत्र पाठ अवश्य करें। वहीं, पूजा का समापन कुंजबिहारी जी की आरती
आरती कुंजबिहारी की (Aarti Kunj Bihari Ki)
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की।।
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की।।
गले में बैजंती माला,बजावै मुरली मधुर बाला।
श्रवण में कुण्डल झलकाला,नंद के आनंद नंदलाला।
गगन सम अंग कांति काली,राधिका चमक रही आली।
लतन में ठाढ़े बनमाली;भ्रमर सी अलक, कस्तूरी तिलक,
चन्द्र सी झलक;ललित छवि श्यामा प्यारी की॥
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
कनकमय मोर मुकुट बिलसै,देवता दरसन को तरसैं।
गगन सों सुमन रासि बरसै;बजे मुरचंग, मधुर मिरदंग,
ग्वालिन संग;अतुल रति गोप कुमारी की॥
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
जहां ते प्रकट भई गंगा,कलुष कलि हारिणि श्रीगंगा।
स्मरन ते होत मोह भंगा;बसी सिव सीस, जटा के बीच,
हरै अघ कीच;चरन छवि श्रीबनवारी की॥
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
चमकती उज्ज्वल तट रेनू,बज रही वृंदावन बेनू।
चहुं दिसि गोपि ग्वाल धेनू;हंसत मृदु मंद,चांदनी चंद,
कटत भव फंद;टेर सुन दीन भिखारी की॥
श्री गिरिधर कृष्णमुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की, श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की,श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
आरती कुंजबिहारी की,श्री गिरिधर कृष्ण मुरारी की॥
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