झारखंड 2024 झारखंड के कार्यवाहक डीजीपी अनुराग गुप्ता को पद से हटाने का निर्देश दिया गया है। चुनाव आयोग ने ये निर्देश झारखंड सरकार को दिया है और साथ ही शाम सात बजे तक इसका अनुपालन प्रस्तुत करने का आदेश दिया है। पिछले चुनावों के दौरान अनुराग गुप्ता के खिलाफ आयोग द्वारा की गई शिकायतों और कार्रवाई के इतिहास को ध्यान में रखते हुए यह निर्णय लिया गया है।
चुनाव आयोग (ECI) ने झारखंड सरकार को तत्काल प्रभाव से कार्यवाहक पुलिस महानिदेशक (डीजीपी) अनुराग गुप्ता को पद से हटाने का निर्देश दिया है। समाचार एजेंसी एएनआई ने सूत्रों के हवाले से इसकी जानकारी दी।
एजेंसी के अनुसार आयोग ने शनिवार को एक आदेश जारी किया है, जिसमें कहा गया है कि कार्यवाहक डीजीपी को कैडर में उपलब्ध सबसे वरिष्ठ डीजीपी स्तर के अधिकारी को कार्यभार सौंपना चाहिए। सूत्रों ने एजेंसी को बताया कि चुनाव आयोग ने राज्य सरकार को शाम 7 बजे तक इन निर्देशों का अनुपालन प्रस्तुत करने का निर्देश दिया है।
आदेश के पीछे क्या है वजह?
साथ ही झारखंड सरकार को 21 अक्टूबर 2024 को सुबह 10 बजे तक वरिष्ठ भारतीय पुलिस सेवा (आईपीएस) अधिकारियों का एक पैनल प्रस्तुत करना है। यह निर्णय पिछले चुनावों के दौरान अनुराग गुप्ता के खिलाफ आयोग द्वारा की गई शिकायतों और कार्रवाई के इतिहास को ध्यान में रखते हुए लिया गया है।
2019 में भी कार्यभार से किया गया था मुक्त
इससे पहले 2019 में लोकसभा के आम चुनावों के दौरान, झारखंड मुक्ति मोर्चा (जेएमएम) द्वारा पक्षपातपूर्ण आचरण के आरोपों के बाद गुप्ता को एडीजी (विशेष शाखा), झारखंड के रूप में उनके कर्तव्यों से मुक्त कर दिया गया था। उस समय उन्हें दिल्ली में रेजिडेंट कमिश्नर के कार्यालय में फिर से नियुक्त किया गया था और चुनाव प्रक्रिया पूरी होने तक झारखंड लौटने पर रोक लगा दी गई थी।
सत्ता के दुरुपयोग के लगे थे आरोप
गौरतलब है कि झारखंड में झामुमो सत्ताधारी पार्टी है। इसके अलावा, 2016 में झारखंड से राज्य सभा के द्विवार्षिक चुनावों के दौरान, तत्कालीन अतिरिक्त डीजीपी गुप्ता पर सत्ता के दुरुपयोग के गंभीर आरोप लगे थे। आयोग ने एक जांच समिति बनाई थी, जिसके निष्कर्षों के आधार पर विभागीय जांच के लिए उनके खिलाफ आरोप पत्र जारी किया गया था।
जगन्नाथपुर थाने में आईपीसी की धारा 171(बी)(ई)/171(सी)(एफ) के तहत 29.03.2018 को मामला संख्या 154/18 भी दर्ज किया गया था। 2021 में, झारखंड सरकार ने बाद में भ्रष्टाचार निवारण अधिनियम, 1988 की धारा 17(ए) के तहत जांच की अनुमति दी।
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