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Hubballi Riot Case कर्नाटक सरकार हुबली दंगे का केस वापस लेने के अपने फैसले पर घिर गई है। केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कांग्रेस पर निशाना साधते हुए कहा कि यह फैसला तुष्टीकरण की चरम सीमा है। उन्होंने आरोप लगाया कि सामान्य रूप से राज्य सरकार ऐसे मामले को वापस नहीं ले सकती। इसके बावजूद कांग्रेस सरकार ने ऐसा किया है। जानिए क्या है पूरा मामला।

बेंगलुरु। कर्नाटक में कांग्रेस सरकार ने हुबली के दंगाइयों के खिलाफ एक आपराधिक मामला वापस लेने का फैसला किया है। समुदाय विशेष की करीब 158 लोगों की भीड़ ने ना सिर्फ पुलिस बल पर लाठियों और पत्थरों से जानलेवा हमला किया था, बल्कि इसमें कई पुलिस कर्मी गंभीर रूप से घायल हुए थे और सरकारी और निजी वाहनों को भी तहस-नहस कर दिया गया था।

केंद्रीय मंत्री प्रह्लाद जोशी ने कर्नाटक की कांग्रेस सरकार के इस फैसले को तुष्टीकरण की चरम सीमा करार दिया है। प्रह्लाद जोशी ने कांग्रेस सरकार के इस फैसले की कड़ी आलोचना करते हुए कहा कि दुर्भाग्यवश कांग्रेस पार्टी कर्नाटक में तुष्टीकरण की हद पार कर चुकी है। उन्होंने कहा कि एनआईए अदालत के सम्मुख यूएपीए के तहत पेश मामले को वापस ले लिया गया है। सामान्य रूप से राज्य सरकार ऐसे मामले को वापस नहीं ले सकती। इसके बावजूद कांग्रेस सरकार ने ऐसा किया है। 

BJP ने तुष्टीकरण की राजनीति का लगाया आरोप

भाजपा सांसद बांसुरी स्वराज ने प्रेस कांफ्रेंस में कर्नाटक की कांग्रेस सरकार पर आरोप लगाया कि वह तुष्टीकरण की राजनीति कर रही है। उन्होंने पूछा कि पार्टी देश में लोकतंत्र की रक्षा कैसे करेगी जब वह अपने शासनकाल में अपने राज्य के पुलिस अफसरों की रक्षा नहीं कर पा रही है। वहीं भाजपा आईटी सेल के प्रभारी अमित मालवीय ने कर्नाटक सरकार पर निशाना साधते हुए लिखा, 'कर्नाटक की कांग्रेस सरकार ने कानून और पुलिस विभागों के विरोध के बावजूद ओल्ड हुबली पुलिस स्टेशन दंगा मामले को वापस ले लिया है।'

उन्होंने लिखा, 'अक्टूबर 2022 में दर्ज किए गए इस मामले में AIMIM नेता मोहम्मद आरिफ और अन्य शामिल थे, जिन पर मुसलमानों की एक बड़ी भीड़ का नेतृत्व करने का आरोप था, जिन्होंने पुलिस पर हमला किया और स्टेशन पर धावा बोलने की धमकी दी। उपमुख्यमंत्री डी के शिवकुमार ने हाल ही में सरकार को पत्र लिखकर मामले को वापस लेने का अनुरोध किया था। इसके बाद हुए दंगों और पथराव के दौरान कई पुलिस अधिकारी गंभीर रूप से घायल हो गए। यह कांग्रेस की मुस्लिम तुष्टिकरण की नंगी राजनीति के अलावा और कुछ नहीं है।'

क्या था मामला?

गौरतलब है कि हुबली कस्बे में 16 अप्रैल, 2022 को इंटरनेट मीडिया पर एक आपत्तिजनक टिप्पणी के बाद पुलिस बलों पर पुलिस स्टेशन के पास हुए हमले का यह मामला उन 43 मामलों में से एक है, जिसे राज्य के मंत्रिमंडल ने गुरुवार को हुई बैठक में वापस लेने का फैसला किया है। आधिकारिक सूत्रों ने समाचार एजेंसी पीटीआई को बताया कि कर्नाटक के गृह मंत्री जी.परमेश्वरा को अंजुमन-ए-इस्लाम की ओर से दायर याचिका कर दंगाइयों के खिलाफ मामले वापस लेने की मांग की गई थी।

क्या बोले सिद्दरमैया?

कर्नाटक के मुख्यमंत्री सिद्दरमैया ने कहा कि सरकार के पास कुछ मुकदमे वापस लेने का अधिकार है। गृह मंत्रालय के अधीन कैबिनेट की एक उप समिति है, जिसने फैसला ले लिया है और कैबिनेट ने उसे मंजूरी दे दी है। उत्तरी कर्नाटक में हुबली के इस मामले के खिलाफ भाजपा के प्रदर्शन करने की तैयारी पर सिद्दरमैया ने मैसुरु में कहा कि भाजपा हमेशा ही झूठे मुद्दों पर ही प्रदर्शन करती है।

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