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औषधि नियामक डीसीजीआई ने कहा कि 50 नकली दवाओं पर प्रतिबंध लगाए जाने की एक हालिया रिपोर्ट पूरी तरह से गलत हैं। वे नकली दवाएं नहीं हैं बल्कि वे मानक गुणवत्ता वाली दवाएं नहीं थीं। दोनों चीजों में अंतर है। औषधि महानियंत्रक राजीव सिंह रघुवंशी ने बताया कि मानकों पर खरी न उतरने वाली दवाओं पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया।

भारत के औषधि नियामक डीसीजीआई ने बुधवार को कहा कि करीब 45 दवाओं के निर्माताओं को गुणवत्ता मानकों को पूरा न करने के कारण अपने उत्पाद वापस लेने का आदेश दिया गया है, जबकि पांच नकली दवाओं के निर्माताओं के खिलाफ मामला दर्ज करने की कार्रवाई शुरू की गई है।

सीआईआई फार्मा और लाइफ साइंसेज शिखर सम्मेलन के दौरान संवाददाताओं से बातचीत में औषधि महानियंत्रक राजीव सिंह रघुवंशी ने स्पष्ट किया कि 50 नकली दवाओं पर प्रतिबंध लगाए जाने की एक हालिया रिपोर्ट पूरी तरह से गलत हैं।

दवाओं को बाजार से वापस लेने को कहा

उन्होंने कहा कि वे नकली दवाएं नहीं हैं, बल्कि वे मानक गुणवत्ता वाली दवाएं नहीं थीं। दोनों चीजों में अंतर है। हमारी शब्दावली में उनमें से केवल पांच नकली थीं। उन्होंने कहा कि मानकों पर खरी न उतरने वाली दवाओं पर कोई प्रतिबंध नहीं लगाया, बल्कि कंपनियों को उन्हें मार्केट से वापस लेने का निर्देश दिया गया। उन्हें सिर्फ मानक गुणवत्ता के नहीं होने के रूप में अधिसूचित किया गया था।

50 दवाओं को लेकर दिया था नोटिस

उन्होंने कहा कि सीडीएससीओ हर महीने बाजार से करीब 2,000 से अधिक नमूने लेता है और उनका परीक्षण करता है। उनमें से लगभग 40-50 एक-दो पैरामीटर में विफल हो जाते हैं। कई बार ये बहुत छोटे से पैरामीटर हो सकते हैं और किसी भी तरह के स्वास्थ्य जोखिम वाले भी नहीं होते हैं, लेकिन हम इसे अपने पोर्टल पर डालते हैं। उन्होंने कहा कि ड्रग एंड कास्मेटिक्स एक्ट में नकली दवा और इनसे संबंधित मुद्दों से निपटने के लिए सभी प्रविधान हैं। पिछले महीने, एंटासिड और पैरासिटामोल सहित 50 से अधिक दवाओं को सीडीएससीओ ने घटिया या नकली दवाओं की मासिक सूची में सूचीबद्ध किया था।

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