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 चीन हमेशा से भारत की घेराबंदी के लिए अपने पड़ोसी मुल्कों का फायदा उठाता रहा है। कभी पाक तो श्रीलंका उसने सभी की जमीन का इस्तेमाल किया है। इस बार उसे मुंह की खानी पड़ी है। श्रीलंका दौरे पर गए भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात के दौरान श्रीलंकाई राष्ट्रपति अनुरा कुमार दिसानायके ने चीन को खरी-खरी सुनाई है।

भारत को घेरने के लिए चीन हमेशा से अपने पड़ोसी मुल्कों का फायदा उठाता रहा है। कभी पाक तो कभी नेपाल तो कभी श्रीलंका। सभी की जमीन का इस्तेमाल वो भारत को घेरने के लिए करता है। हालांकि, इस बार उसे मुंह की खानी पड़ी है। 

दरअसल, श्रीलंका दौरे पर गए भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर से मुलाकात के दौरान श्रीलंकाई राष्ट्रपति अनुरा कुमार दिसानायके ने चीन को खरी-खरी सुनाई है। 

श्रीलंका की धरती का गलत इस्तेमाल नहीं होने देंगे

राष्ट्रपति अनुरा कुमार दिसानायके ने जयशंकर से मुलाकात के दौरान कई मोर्चों पर चर्चा की। इसी दौरान उन्होंने कहा कि वो श्रीलंका की जमीन का इस्तेमाल भारत के खिलाफ गतिविधियों के लिए नहीं होने देंगे। दोनों देशों ने इस बात पर जोर दिया कि हमारे सुरक्षा हित आपस में जुड़े हुए हैं। 

भारत ने आर्थिक मोर्चे पर समर्थन का दिया आश्वासन

भारत ने श्रीलंका को उसकी अर्थव्यवस्था के पुनर्निर्माण के लिए निरंतर समर्थन का आश्वासन दिया और बदले में कोलंबो ने कहा कि उसके क्षेत्र का इस्तेमाल नई दिल्ली के सुरक्षा हितों के प्रतिकूल तरीके से नहीं होने दिया जाएगा।

विदेश मंत्री एस जयशंकर के साथ यहां एक बैठक के दौरान, राष्ट्रपति अनुरा कुमार दिसानायके ने कहा कि समृद्ध श्रीलंका के उनके दृष्टिकोण को साकार करने और लोगों की आकांक्षाओं को पूरा करने के लिए भारत का आर्थिक समर्थन महत्वपूर्ण है।

श्रीलंका के साथ होगा नया समझौता

23 सितंबर को दिसानायके के नेतृत्व वाली नेशनल पीपुल्स पावर (एनपीपी) सरकार के सत्ता में आने के बाद जयशंकर श्रीलंका का दौरा करने वाले पहले विदेश मंत्री हैं। उन्होंने आश्वासन दिया कि भारत द्विपक्षीय ऋण पुनर्गठन पर श्रीलंका के साथ एक समझौता ज्ञापन पर हस्ताक्षर करेगा और निजी बांड धारक ऋण पुनर्गठन समझौते का समर्थन करेगा। 

जयशंकर बोले- ऊर्जा उत्पादन आर्थिक स्थिरता लाएगी

दिसानायके के साथ अपनी बैठक के दौरान जयशंकर ने इस बात पर जोर दिया कि कैसे ऊर्जा उत्पादन और संचरण और ईंधन और एलएनजी आपूर्ति के क्षेत्र में चल रही पहल अन्य क्षेत्रों के अलावा द्वीप राष्ट्र के लिए आर्थिक स्थिरता में योगदान देगी और राजस्व के नए स्रोत प्रदान करेगी। 

 

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