भारत में मंकीपॉक्स के क्लेड-1 स्ट्रेन का पहला मामला सामने आया है। यह वह ही स्ट्रेन है जिसे विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी घोषित कर रखा है। इस खतरनाक वायरस से संक्रमित मरीज पिछले हफ्ते संयुक्त अरब अमीरात (UAE) से केरल लौटा था। आइए इस आर्टिकल में जानें इस वायरस जुड़ी सभी जरूरी बातें।
अफ्रीका महाद्वीप में तबाही मचाने वाले मंकीपॉक्स वायरस का खतरनाक वेरिएंट, क्लेड-1 अब भारत पहुंच गया है। देश में इस घातक वायरस का पहला मामला केरल में सामने आया है। विश्व स्वास्थ्य संगठन (WHO) ने इस वायरस को गंभीरता से लेते हुए पिछले महीने ही इसे वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया था।
केरल में मिला पहला मामला
केरल के स्वास्थ्य विभाग के मुताबिक, 38 वर्षीय एक व्यक्ति में क्लेड-1 स्ट्रेन की पुष्टि हुई है। यह व्यक्ति हाल ही में संयुक्त अरब अमीरात (UAE) से भारत लौटा था। इस मामले के सामने आने के बाद राज्य सरकार और स्वास्थ्य विभाग अलर्ट पर हैं।
WHO घोषित कर चुका है ग्लोबल हेल्थ इमरजेंसी
केरल के मल्लापुरम में मंकीपॉक्स के क्लेड-1 स्ट्रेन का पहला मामला सामने आने से देश भर में हड़कंप मच गया है। यह वह स्ट्रेन है जो वर्तमान में अफ्रीकी देशों में तेजी से फैल रहा है और जिसके कारण डब्ल्यूएचओ ने पिछले महीने मंकीपॉक्स को दूसरी बार वैश्विक स्वास्थ्य आपातकाल घोषित किया था।
मंकीपॉक्स के लक्षण
क्लेड-1 स्ट्रेन क्यों है खतरनाक?
क्लेड-1 स्ट्रेन का एक ऐसा वेरिएंट है जो अन्य वेरिएंट्स की तुलना में ज्यादा खतरनाक माना जाता है। यह स्ट्रेन अन्य स्ट्रेन की तुलना में अधिक तेजी से फैलता है, जिससे संक्रमण का खतरा बढ़ जाता है। इसके अलावा, क्लेड-1 स्ट्रेन से संक्रमित लोगों में ज्यादा गंभीर लक्षण देखने को मिल सकते हैं, जैसे कि तेज बुखार, दर्दनाक दाने और अन्य जटिलताएं।
कुछ मामलों में, यह स्ट्रेन गंभीर रूप लेकर निमोनिया या एन्सेफलाइटिस का कारण भी बन सकता है। वैज्ञानिक अभी भी इस स्ट्रेन के ज्यादा खतरनाक होने के कारणों पर शोध कर रहे हैं, लेकिन यह माना जाता है कि इसके जीन में कुछ ऐसे बदलाव हुए हैं जिसकी वजह से यह ज्यादा संक्रामक और खतरनाक हो गया है।
क्लेड-1 स्ट्रेन की मृत्यु दर ज्यादा
क्लेड-1बी स्ट्रेन मंकीपॉक्स का एक बेहद खतरनाक रूप है। इस नए स्ट्रेन के कारण मृत्यु दर में भारी वृद्धि देखी जा रही है। इसका मुख्य कारण यह है कि यह स्ट्रेन न सिर्फ त्वचा को प्रभावित करता है बल्कि श्वसन तंत्र पर भी गहरा असर डालता है।
क्लेड-1बी स्ट्रेन से संक्रमित व्यक्ति में निमोनिया जैसी गंभीर श्वसन समस्याएं हो सकती हैं। निमोनिया के कारण फेफड़े में सूजन हो जाती है और सांस लेने में काफी दिक्कत होती है। यह स्थिति अक्सर जानलेवा हो सकती है।
कुछ अध्ययनों के अनुसार, क्लेड-1बी स्ट्रेन से संक्रमित मरीजों में मृत्यु दर लगभग 10% तक पहुंच गई है। हालांकि, यह दर विभिन्न कारकों जैसे कि मरीज की उम्र, स्वास्थ्य स्थिति और उपलब्ध चिकित्सा सुविधाओं पर निर्भर करती है।
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