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राष्ट्रीय अभिलेखागार भी जुड़ेगा जीपीटी से, एक क्लिक पर मिलेंगी सारी सूचनाएं

राष्ट्रीय अभिलेखागार में निजी अभिलेख समेत अन्य दस्तावेज का विशाल संग्रह है। इसके 34 करोड़ पृष्ठों के डिजिटाइज कर अभिलेख पटल पर डालने का लक्ष्य रखा गया है ताकि विश्व में कहीं से भी लोग दस्तावेज देख सके। इस परियोजना के तहत प्रतिदिन लगभग छह लाख पृष्ठ पटल पर लाए जा रहे है और अब तक चार करोड़ से ज्यादा प्रष्ठ अभिलेख पटल पर आ चुके है। 

नई दिल्ली। राष्ट्रीय अभिलेखागार अभिलेखों को डिजिटाइज करने के साथ लोगों तक उसके तथ्यों को आसानी पहुंचाने के लिए एआई अधारित तकनीक अपनाने की तैयारी में है। इसके तहत वेबसाइट को जीपीटी से जोड़ा जाएगा।

इससे अभिलेखों से जुड़ी सारी सूचनाएं एक क्लिक पर मिल जाएंगी। फिलहाल अभिलेखागार के महानिदेशक ने जेरेटिव प्री-ट्रेंड ट्रांसफारमर्स (जीपीटी) संबंधी एक कंपनी से बातचीत के बाद इसकी पूरी कार्ययोजना बनाकर देने के लिए कहा है।

राष्ट्रीय अभिलेखागार के महानिदेशक अरुण सिंघल ने बताया कि अभिलेखों के विशाल संग्रह को वेबसाइट पर डालने के बाद लोगों के लिए इसे और सुलभ बनाने के लिए काम किया जा रहा है। इसी के तहत उन्होंने इसमें जीपीटी की सुविधा देने की तैयारी की जा रही है।

शोधार्थियों को भी होगी सुविधा

बताते चलें कि चैट जीपीटी इसी तकनीक पर काम करता है। इसके लिए एक कंपनी से बातचीत चल रही है, उसे प्रेजेंटेशन देने के लिए कहा गया है। महानिदेशक ने बताया कि इससे आम लोगों के साथ शोधार्थियों को भी सुविधा होगी कि वह विशाल संग्रह से किसी मामले से संबंधी जितने अभिलेख हैं और उसमें क्या लिखा गया है उसे एक क्लिक में एक जगह कुछ ही सेकेंड में हासिल कर सकेंगे।

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अभी डिजिटाइज संग्रह में भी किसी को जानकारी के लिए संबंधित मामले से जुड़े एक-एक पन्ने को पढ़कर तथ्यों की जानकारी मिल सकेगी। जैसे कश्मीर से संबंधित अभिलेख चाहिए तो अभी उससे जुड़े 300 से अधिक पन्ने अभिलेखागर की वेबसाइट पर हैं। इसमें से अपने मतलब की जानकारी के लिए काफी ज्यादा पढ़ना होगा। लेकिन, जीपीटी से यह बेहद आसान हो जाएगा।

बता दें कि राष्ट्रीय अभिलेखागार में मदन मोहन मालवीय संग्रह, डॉ. राजेन्द्र प्रसाद संग्रह, महात्मा गांधी संग्रह, डा. आंबेडकर संग्रह, सुभाष चन्द्र बोस संग्रह समेत लाखों अभिलेख हैं। इसके साथ ही प्राच्य भाषाओं के संग्रह के रूप में अनेक ग्रंथ, पाण्डुलिपियां संस्कृत, पाली, प्राकृत, मोडी, अरबी, फारसी एवं उर्दू में संग्रहीत है।