केंद्र सरकार के मुताबिक बांग्लादेश से 7200 से अधिक भारतीय छात्र-छात्राएं भारत लौट आए हैं। इनमें अभी भी कुछ बांग्लादेश में फंसे हैं जिन्हें भारत लाने की कवायद तेज कर दी गई है। विदेश राज्य मंत्री कीर्ति वर्धन सिंह ने कहा कि बांग्लादेश में 9000 से अधिक छात्रों सहित लगभग 19000 भारतीय नागरिक रहते हैं। वहीं 70 छात्राएं बिहार भी लौटी हैं।
पटना सिटी:- बांग्लादेश में तख्तापलट के पूर्व हुए हंगामे हिंसा और आंदाेलन के बाद वहां मेडिकल की पढ़ाई कर रही 70 भारतीय छात्राएं वापस अपने वतन पहुंच गई हैं। इन्हें कॉलेज प्रशासन द्वारा कड़ी सुरक्षा के बीच बांग्लादेश से लगने वाले भारत के बंगाल बार्डर तक सुरक्षित पहुंचा दिया।
जहां से सभी छात्रा अपने अपने घर पहुंच गईं। पटना के दानापुर और महुआ की छात्राओं ने इस संबंध में जानकारी देते हुए बताया कि हम सभी कॉलेज में पुरी तरह सुरक्षित थे मगर हंगामे की खबर से डर लगता था मगर कॉलेज प्रशासन हमारी सुरक्षा के प्रति काफी गंभीर और मुश्तैद था।
दानापुर निवासी मेडिकल की छात्रा सैयद अम्बर फातिमा ने बताया कि भारत की कुल 70 छात्राएं बांग्लादेश के अदिन सकीना वूमेंस मेडिकल कॉलेज पूलर हॉट जैसौर में मेडिकल की शिक्षा ग्रहण कर रही थी। उनकी 3साल की पढ़ाई चल रही थी। वह सभी आराम से शिक्षा ग्रहण कर रही थी इसी बीच अचानक से आंदोलन शुरू हो गया और फिर यह आंदोलन हिंसक हो गया गया हिंसा होने लगी कई लोगों की जान चली गई।
पूरा बांग्लादेश जल उठा: छात्राएं
पूरा बांग्लादेश जल उठा खास कर ढाका में बुरा हाल था। हिंसा होने के साथ ही कॉलेज प्रशासन ने अपनी सुरक्षा सख्त कर दिया। हम सभी अंतराष्ट्रीय छात्राएं थे। इस कारण कॉलेज प्रशासन हमारी सुरक्षा के प्रति अधिक गंभीर था। अचानक से नेट बंद कर दिया गया हम सभी का अपने परिवार से संपर्क टूट गया। तीन दिनों तक हम सभी अपने अपने परिवार से संपर्क नहीं कर सके।
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कॉलेज प्रशासन की मदद की वजह से बच पाए
कॉलेज प्रशासन हम सब को कहा कि आप हालात ठीक नहीं हैं आप सभी अपने अपने घर चली जायें फिर जैसी हालात होगी वैसा आप को संदेश भेज दिया जायेगा। कॉलेज प्रशासन ने हम सभी 70 छात्राओं को कड़ी पुलिस सुरक्षा में भारत से लगने वाले बंगाल के बार्डर बैनापूल तक छोड़ दिया जहां से हम सभी कोलकता पहुंचे और वहां से अपने अपने घर को निकल लिया।
फोर्स की गाड़ी के साथ हम बॉर्डर पार कर पाए
सैयद अम्बर फातिमा ने बताया कि हमारे साथ हाजीपुर महुआ की एक छात्रा बुुशरा थी। कॉलेज प्रशासन ने हम सभी को अंडर फोर्स बार्डर तक सुरक्षित पहुंचा। इस दौरान हम लोगों ने रास्ते के लिए आवश्यक सामन जमा कर लिया था।
कॉलेज की बस में हम सभी को सवार कर आगे पीछे फोर्स की गाड़ी हम सभी बैनापूल पहुंचे जहां से आवश्यक कागजी करवाई कर एक घंटे में बॉर्डर पार कर भारत में प्रवेश किया वहां से हम लोग बंगाल जंक्शन पहुंचे और फिर लोकल ट्रेन से कोलकता दो घंटे मेें पहुंचे।
उसके बाद जिससे जहां जाना था वहां की ट्रेन पकड़ लिया कई के परिजन पहुंच गये थे। अम्बर और बुशना दोनों साथ ट्रेन पकड़ अपने घर पहुंची। अम्बर ने बताया कि अभी तक कॉलेज प्रशासन के द्वारा कोई संदेश नहीं दिया गया है कि कॉलेज कब से शुरू होगा। हम सभी संदेश की राह देख रहे हैं।
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