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एनसीपी नेता और पूर्व मंत्री बाबा सिद्दीकी हत्या मामले में मुंबई क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार सभी आरोपियों के खिलाफ मकोका (MCOCA) लगाया है। अब तक इस मामले में 26 लोगों को देश के अलग-अलग हिस्सों से गिरफ्तार किया गया है।क्राइम ब्रांच ने इस मामले में अब तक कथित मुख्य शूटर शिव कुमार गौतम समेत 26 लोगों को गिरफ्तार किया है।

मुंबई। एनसीपी नेता और पूर्व मंत्री बाबा सिद्दीक हत्या मामले में मुंबई क्राइम ब्रांच ने गिरफ्तार सभी आरोपियों के खिलाफ मकोका (MCOCA) लगाया है। अब तक इस मामले में 26 लोगों को देश के अलग-अलग हिस्सों से गिरफ्तार किया गया है।

क्राइम ब्रांच ने इस मामले में अब तक कथित मुख्य शूटर शिव कुमार गौतम समेत 26 लोगों को गिरफ्तार किया है। मुंबई पुलिस के एक अधिकारी ने बताया कि बाबा सिद्दीकी हत्या मामले में सख्त मकोका के प्रावधान लागू किए गए हैं। यह ध्यान रखना महत्वपूर्ण है कि मकोका के तहत पुलिस के सामने दिए गए बयान अदालत में सबूत के रूप में स्वीकार्य हैं। मकोका के तहत जमानत मिलना भी मुश्किल है।

12 अक्टूबर को की थी हत्या

महाराष्ट्र के पूर्व मंत्री 66 वर्षीय सिद्दीकी की 12 अक्टूबर को मुंबई के बांद्रा पूर्व में उनके बेटे विधायक जीशान सिद्दीकी के कार्यालय भवन के बाहर तीन हमलावरों ने गोली मारकर हत्या कर दी थी। उनके सीने पर दो गोलियां लगीं और उन्हें मुंबई के लीलावती अस्पताल ले जाया गया, जहां उनका निधन हो गया।

लॉरेंस बिश्नोई के भाई को भी किया था गिरफ्तार

जेल में बंद गैंगस्टर लॉरेंस बिश्नोई के भाई अनमोल को सिद्दीकी की हत्या और अभिनेता सलमान खान के मुंबई स्थित घर के बाहर गोलीबारी में कथित भूमिका के लिए अमेरिका में गिरफ्तार किया गया था। संदिग्ध मुख्य साजिशकर्ता शुभम लोनकर और जिशान मोहम्मद अख्तर अभी भी फरार हैं।

क्या है मकोका कानून?

महाराष्ट्र सरकार ने 1999 में मकोका (महाराष्ट्र कंट्रोल ऑफ ऑर्गेनाइज्ड क्राइम एक्ट) बनाया था। इस कानून का मुख्य उद्देश्य  संगठित और अंडरवर्ल्ड अपराध को खत्म करना था। इसके बाद 2002 में दिल्ली सरकार ने भी इसे लागू कर दिया। फिलहाल महाराष्ट्र और दिल्ली में यह कानून लागू है। इसके तहत संगठित अपराध जैसे अंडरवर्ल्ड से जुड़े अपराधी, फिरौती के लिए अपहरण, हत्या या हत्या की कोशिश, जबरन वसूली, धमकी, उगाही सहित ऐसा कोई भी गैरकानूनी काम जिससे बड़े पैमाने पर पैसे लूटे जाते है, मामले शामिल है।

मकोका के तहत आरोपी की पुलिस रिमांड 30 दिन तक हो सकती है, जबकि IPC के तहत यह अधिकतम 15 दिन होती है।

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