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पलवल शहर का एक व्यापारी साइबर ठगी का शिकार हुआ। ठगों ने पहले तो मनी लॉन्ड्रिंग का डर दिखाया। बाद में सीबीआई अधिकारी बनकर व्यापारी से 88 लाख रुपये हड़प लिए। व्यापारी को मनी लॉन्ड्रिंग करने के बहाने अपने जाल में फंसाया। बदमाशों ने पीड़ित को माता-पिता सहित गिरफ्तार करने की धमकी भी दी। अब पुलिस ने मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है।

पलवल। दिल्ली से सटे पलवल जिले में साइबर ठग ने सीबीआई अधिकारी बनकर शहर के व्यापारी से 88 लाख रूपये ठग लिए। व्यापारी को मनी लॉन्ड्रिंग में गिरफ्तारी का डर दिखाया गया और कई घंटे तक डिजिटल अरेस्ट कर जांच के नाम पर यह राशि ट्रांसफर करा ली गई। साइबर थाना पुलिस ने पीड़ित व्यापारी की शिकायत पर मामले में ठगी का मुकदमा दर्ज कर जांच शुरू कर दी है। 

जिला पुलिस प्रवक्ता संजय कादयान के अनुसार मामले में न्यू कालोनी के रहने वाले अनिल कुमार ने शिकायत दी है कि वह सुथार इंटरप्राइजेज के नाम से डोर फ्रेम का व्यवसाय करते हैं। व्यापारिक उद्देश्य से वह हरियाणा के विभिन्न शहरों में जाते हैं।

व्हाट्सएप पर सीबीआई और आरबीआई का भेजा नोटिस

बीती 19 अक्टूबर को उनके व्हाट्सएप पर विभिन्न नंबरों से फोन आए थे। फोन करने वाले ने खुद को सीबीआई के अधिकारी के रूप में पेश किया। उन्होंने उनके साथ व्हाट्सएप पर सीबीआई और आरबीआई का नोटिस साझा किया। उसे बताया गया कि उनके (पीड़ित) द्वारा एचडीएफसी बैंक में कई खाते खोले गए हैं और इनके माध्यम से मनी लॉन्ड्रिंग की जा रही है। यह राष्ट्रीय सुरक्षा का मामला है।

शिकायतकर्ता के अनुसार खुद को सीबीआई का अधिकारी बता रहा व्यक्ति वीडियो काल पर था और उसने धमकी दी कि वह काल न काटे और किसी को न बताए, नहीं तो उसे सात साल की कैद सकती है। आरोपित ने पीड़ित के साथ उसके माता-पिता और पत्नी को गिरफ्तार करने की धमकी भी दी। इससे पीड़ित डर गया।

जांच के बाद रुपये वापस करने की कही थी बात

आरोपित ने कहा कि पीड़ित के बैंक खातों में मौजूद सभी रुपयों की जांच की जाएगी। इसके लिए यह रकम उनके (आरोपित) बैंक खातों में ट्रांसफर करनी होगी। जांच के बाद यह रुपये वापस कर दिए जाएंगे। पीड़ित आरोपित के झांसे में आ गया। 

पीड़ित ने अपने बैंक खातों में मौजूद 88 लाख रुपयों को आरटीजीएस के जरिए आरोपित द्वारा बताए गए खातों में ट्रांसफर कर दिया। इसके बाद आरोपित ने पीड़ित को फिर से अगले 72 घंटों के लिए वीडियो कॉल पर रखा।

जमानत की फाइल तैयार करने के लिए मांगे15 लाख रुपये 

आरोपित ने पीड़ित से जमानत के लिए फाइल तैयार होने की बात कहकर 15 लाख रुपये और मांगे। इसके बाद पीड़ित ने फोन काटकर अपने रिश्तेदारों से बात की और उसे पता चला कि यह एक साइबर गिरफ्तारी घोटाला है।

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