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मुख्यमंत्री योगी आदित्‍यनाथ ने शनिवार को दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय और हिन्दुस्तानी एकेडमी उत्तर प्रदेश प्रदेश द्वारा संयुक्त रूप से आयोजित समरस समाज के निर्माण में नाथपंथ का अवदान विषयक दो दिवसीय अन्तर्राष्ट्रीय संगोष्ठी के उद्घाटन सत्र में बोल रहे थे। उन्होंने कहा कि ज्ञानवापी को आज लोग दूसरे शब्दों में मस्जिद कहते हैं लेकिन ज्ञानवापी साक्षात विश्वनाथ ही हैं।

गोरखपुर। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने कहा है कि ज्ञानव्यापी को लोग दुर्भाग्य से मस्जिद कहते हैं, दरअसल व साक्षात् शिव हैं। अपने इस बयान की पुष्टि में उन्होंने आदि शंकराचार्य के एक प्रसंग से की है, जिसमें स्वयं भगवान विश्वनाथ अपने को ज्ञानव्यापी बताते हैं।

दीनदयाल उपाध्याय गोरखपुर विश्वविद्यालय के दीक्षा भवन में 'समरस समाज के निर्माण में नाथ पंथ का अवदान' विषय पर आयोजित संगोष्ठी को बतौर मुख्य अतिथि संबोधित करते हुए उस प्रसंग को विस्तार से सुनाया।

योगी ने बताया कि जब आदि शंकर अपने अद्वैत ज्ञान से परिपूर्ण होकर आगे की साधना के लिए केरल से चलकर वाराणसी पहुंचे तो स्वयं भगवान विश्वनाथ ने उनकी परीक्षा ली। आदि शंकर जब गंगा स्नान के लिए जा रहे थे तो भगवान ने चांडाल के रूप में उनका रास्ता रोकने की कोशिश की।

जब आदि शंकर उसे अपने रास्ते से हटने के लिए कहा कि उस चांडाल ने उनके उनके अद्वैत सिद्धांत की याद दिलाई, जिसमें वह ब्रह्म के अतिरिक्त सारे संसार को माया बताते हैं। यह सुनकर आदि शंकर समझ जाते हैं कि वह चांडाल कोई सामान्य व्यक्ति नहीं है।

वह पूछते हैं कि आखिर वह कौन है, जो उनके अद्वैत सिद्धांत के बारे में जानता है तो चांडाल ने स्पष्ट किया कि आप जिस ज्ञानव्यापी की साधना के लिए आप काशी आए हैं, वह ज्ञानव्यापी मैं ही हूं यानी मैं ही भगवान विश्वनाथ हूं।

इसी क्रम में योगी ने ज्ञानव्यापी को मस्जिद कहना दुर्भाग्य बताया और उसे साक्षात् शिव के रूप में पुष्ट करने का प्रयास किया।