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Punjab News: लिव-इन रिलेशन पर HC की बेंचों में मतभेद, अगले हफ्ते होगी सुनवाई; कोर्ट ने हरियाणा-पंजाब से मांगा जवाब

पंजाब-हरियाणा हाईकोर्ट में लिव-इन रिलेशनशिप पर बेंचों में मतभेद हो गया है। इस मामले में अब डिविजन बेंच अगले हफ्ते सुनवाई करेगी। हाई कोर्ट की एकल बेंच ने 21 मई 2021 इस विषय पर हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को एक मामला रेफर करते हुए ऐसे मामलों पर एक बड़ी पीठ के गठन करने का आग्रह किया था।

 चंडीगढ़। लिव इन रिलेशनशिप में रहकर सुरक्षा की मांग करने के बढ़ते मामले पर हाई कोर्ट की डिविजन बेंच ने हरियाणा व पंजाब सरकार से विस्तृत जवाब तलब किया है।

हाई कोर्ट की डिविजन बेंच ने कहा कि सरकार इस मामले में हाई कोर्ट की एकल बेंच द्वारा जारी आदेश पर अपना जवाब दायर कर अपना पक्ष रखे। हाई कोर्ट के जस्टिस सुरेश्वर ठाकुर व जस्टिस सुदीप्ति शर्मा की बेंच ने हाई कोर्ट रजिस्ट्री को आदेश दिया कि वह इस मामले को 27 अगस्त को अर्जेंट लिस्ट में सूचीबद्ध करें।

विषय पर सुनवाई डिवीजन बेंच ने की शुरू

लिव-इन-रिलेशनशिप में रह कर सुरक्षा की मांग कर करने वालों प्रेमी जोड़े के मामलों में हाई कोर्ट की विभिन्न पीठ द्वारा अलग-अलग फैसले दिए जाने पर हाई कोर्ट की एकल बेंच ने 21 मई 2021 इस विषय पर हाई कोर्ट के चीफ जस्टिस को एक मामला रेफर करते हुए ऐसे मामलों पर एक बड़ी पीठ के गठन करने का आग्रह किया था। जिसके बाद इस विषय पर सुनवाई डिवीजन बेंच ने शुरू की है।

प्रेमी जोड़े ने लगाई थी सुरक्षा की गुहार

दरअसल जस्टिस अनिल खेत्रपाल के सामने एक प्रेमी जोड़े ने सुरक्षा की गुहार लगाई थी। इस मामले में युवक पहले से विवाहित था और उसका पत्नी से विवाद चल रहा था लेकिन तलाक नहीं हुआ था। इस बीच युवक एक अन्य महिला के साथ भाग कर उसके साथ लिव-इन-रिलेशनशिप में रहने लगा। दोनों ने परिजनों से जान को खतरा बता कर सुरक्षा की मांग की।

याचिका हुई थी खारिज

जस्टिस अनिल खेत्रपाल ने कहा कि हाई कोर्ट की कई पीठ नाबालिग व लिव-इन-रिलेशनशिप में प्रेमी जोड़ों को सुरक्षा देने के आदेश दे चुकी हैं तो कई पीठ ऐसे ही मामलों को नैतिक व सामाजिक तौर पर गलत मान कर उनकी याचिका खारिज कर चुकी है।

खुद जस्टिस खेत्रपाल ने एक जोड़े की याचिका को खारिज करते हुए कहा था कि अगर लिव-इन रिलेशनशिप को संरक्षण दिया जाता रहेगा तो तो समाज का पूरा सामाजिक ताना-बाना गड़बड़ा जाएगा।

जस्टिस अनिल खेत्रपाल ने चीफ जस्टिस से ऐसे मामलों पर स्पष्ट फैसला लेने के लिए एक बड़ी पीठ के गठन करने का आग्रह किया। इसके बाद चीफ जस्टिस ने इस मामले की डिवीजन बेंच को सुनवाई के आदेश दिए है।