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पंजाब सरकार ने नई पहल शुरू की है। आनंदपुर साहिब में पहला स्‍कूल ऑफ हैप्पीनेस (School of Happiness) बनेगा। शनिवार को बच्चे बिना बैग (Bag Free Saturday) के आएंगे। शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने उम्मीद जताई कि यह समय सीमा पूरी हो जाएगी उन्होंने शिक्षा के साथ खुशी को जोड़ने की सरकार की प्रतिबद्धता पर जोर दिया। जल्‍द ही इस स्‍कूल का उद्घाटन भी किया जाएगा।

 चंडीगढ़। राज्य सरकार की ओर से आगामी 14 नवंबर को स्कूल ऑफ हैप्पीनेस (School of Happiness) की शुरुआत की जाएगी। शिक्षा विभाग की ओर से पहला स्कूल  श्री आनंदपुर साहिब के लखेर गांव में खुलेगा। सरकारी प्राथमिक विद्यालय से स्कूल ऑफ हैप्पीनेस की शुरुआत करके प्राथमिक शिक्षा को बदलने की पहल शुरू की जाएगी।

यह स्कूल पंजाब की महत्वाकांक्षी स्कूल ऑफ हैप्पीनेस परियोजना के तहत अपग्रेड होने वाला पहला स्कूल है। स्कूल ऑफ हैप्पीनेस का उद्देश्य बुनियादी ढांचे को विकसित करना, मूलभूत सुविधाओं को बढ़ाने और शिक्षा के लिए एक समग्र दृष्टिकोण को एकीकृत करके पूरे राज्य में एक पोषण और आनंदमय सीखने का माहौल बनाना है।

बैग-फ्री सैटरडे विशेषताएं भी शामिल

शिक्षा विभाग के मुताबिक आनंदपुर साहिब के लखेर गांव में सरकारी प्राथमिक विद्यालय जल्द ही पंजाब निर्माण विभाग के वास्तुकारों द्वारा डिजाइन की गई एक नई, अत्याधुनिक इमारत में स्थानांतरित हो जाएगा। नए डिजाइन का उद्देश्य ऐसा माहौल तैयार करना है जो छात्रों की खुशहाली और खुशी को बढ़ावा दे, जिसमें रंग-बिरंगे फर्नीचर, आकर्षक पैनल बोर्ड और 'बैग-फ्री सैटरडे' जैसी विशेषताएं शामिल हैं।

बाल दिवस पर किया जाएगा उद्घाटन

राज्य सरकार यह सुनिश्चित करने के लिए तेजी से काम कर रही है कि पहला स्कूल ऑफ हैप्पीनेस बाल दिवस पर उद्घाटन के लिए तैयार हो।  शिक्षा मंत्री हरजोत सिंह बैंस ने उम्मीद जताई कि यह समय सीमा पूरी हो जाएगी, उन्होंने शिक्षा के साथ खुशी को जोड़ने की सरकार की प्रतिबद्धता पर जोर दिया। यह स्कूल बैंस के विधानसभा क्षेत्र के पिछड़े चंगर इलाके में स्थित है।

132 स्कूलों को किया जाएगा अपग्रेड

स्कूल ऑफ हैप्पीनेस पहल के तहत राज्य भर में कम से कम 132 स्कूलों को अपग्रेड करने की योजना है। इनमें से 10 स्कूल शहरी क्षेत्रों में और 122 ग्रामीण क्षेत्रों में होंगे। सरकार ने इस अपग्रेड के लिए पहले ही 37 स्कूलों की पहचान कर ली है। इस परियोजना में महत्वपूर्ण निवेश शामिल है, जिसमें प्रत्येक शहरी स्कूल के लिए 1 करोड़ रुपये और प्रत्येक ग्रामीण स्कूल के लिए 1.38 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।

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