झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के नेता और मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने भाजपा के कई कद्दावर नेताओं को झामुमो में शामिल करने की घोषणा की। इसमें पूर्वमंत्री लुइस मरांडी पूर्व विधायक लक्ष्मण टुडू और अन्य शामिल हैं। इसका झारखंड के चुनाव में असर दिख सकता है। इनमें से कई नेताओं ने तो झामुमो में घर वापसी की है। इस तरह से नेताओं के टूटना भाजपा के लिए बड़ा झटका है।
रांची। झारखंड मुक्ति मोर्चा (झामुमो) के कार्यकारी अध्यक्ष सह मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने सोमवार को भाजपा को रणनीतिक मोर्चे पर जोर का झटका दिया। भाजपा के कई कद्दावर नेताओं ने पार्टी को अलविदा कहते हुए झामुमो में शामिल होने की घोषणा की। संताल परगना से लेकर कोल्हान प्रमंडल में इसका चुनाव में असर दिखेगा।
शाम से ही भाजपा के नेताओं के आगमन का दौर मुख्यमंत्री आवास में आरंभ हो गया था। जिन भाजपा नेताओं ने झामुमो में शामिल होने की घोषणा की, इसमें पूर्वमंत्री लुइस मरांडी, घाटशिला के पूर्व विधायक लक्ष्मण टुडू, बहरागोड़ा के पूर्व विधायक कुणाल षाडंगी, चंपई सोरेन को टक्कर देने वाले सरायकेला के भाजपा नेता गणेश महली, लंबे समय से भाजपा से जुड़े रहे बास्को बेसरा सरीखे नेता प्रमुख हैं।
इसके अलावा पूर्वी सिंहभूम भाजपा की जिलाध्यक्ष रहीं बारी मुर्मू ने भी झामुमो का दामन थाम लिया। उल्लेखनीय है कि इन नेताओं के आगमन की पूर्व से चर्चा थी। इन नेताओं को मुख्यमंत्री हेमंत सोरेन ने दल में शामिल करते हुए स्वागत किया।
इस मौके पर गांडेय की विधायक कल्पना सोरेन, झामुमो के केंद्रीय महासचिव विनोद पांडेय और बहरागोड़ा के विधायक समीर मोहंती भी उपस्थित थे। जानकारी के अनुसार भाजपा के कई नेता भी कतार में हैं। झामुमो के शीर्ष नेतृत्व की अनुमति मिलते ही वे दल में शामिल हो जाएंगे।
जानिए इन सभी नेताओं के बारे में
लुइस मरांडी - पूर्वमंत्री लुइस मरांडी ने झामुमो के गढ़ रहे दुमका में भाजपा की एंट्री कराई। सीता सोरेन के दल में शामिल होने के बाद से वह निशाने पर थी। सीता सोरेन ने उनपर गंभीर आरोप भी लगाए थे। उन्हें झामुमो अब भाजपा के मुकाबले उपयोग करेगी। विधानसभा चुनाव जामा या दुमका से लड़ेंगी।
लक्ष्मण टुडू - घाटशिला से विधायक रहे लक्ष्मण टुडू का भाजपा में लंबा कार्यकाल रहा है। वे पूर्व केंद्रीयमंत्री अर्जुन मुंडा के करीबी हैं। घाटशिला से चम्पाई सोरेन के पुत्र को भाजपा ने प्रत्याशी बनाया है। टुडू झामुमो के लिए यहां कारगर हो सकते हैं।
कुणाल षाडंगी - बहरागोड़ा से पहली बार झामुमो के टिकट पर चुनाव जीते कुणाल षाडंगी भाजपा में शामिल हो गए थे। लोकसभा चुनाव के दौरान उन्होंने पार्टी छोड़ दी। वे भाजपा के प्रदेश प्रवक्ता थे। उनकी वापसी से ओडिशा से सटे इस सीट पर झामुमो को मजबूती मिलेगी।
गणेश महली - भाजपा के प्रत्याशी के तौर पर उन्होंने लगातार चम्पाई सोरेन को टक्कर दी है। वे भाजपा के वोटों में सेंधमारी में सहायक हो सकते हैं।
बास्को बेसरा - बाबूलाल मरांडी के विश्वस्त नेताओं में शुमार बास्को बेसरा लंबे समय से भाजपा से जुड़े हैं। वे पार्टी की अनूसूचित जनजाति मोर्चा के प्रदेश अध्यक्ष भी रहे हैं। सरायकेला विधानसभा क्षेत्र में उनका प्रभाव भी है। उन्हें चम्पाई सोरेन के विरुद्ध चुनाव मैदान में उतारा जा सकता है।
बारी मुर्मू-बता दें कि पूर्वी सिंहभूम भाजपा की जिलाध्यक्ष बारी मुर्मू बीजेपी में 25 साल से शामिल थीं। उन्होंने बाबू लाल मरांडी को पत्र लिखकर कहा कि मैं भाजपा में 25 साल तक रही हूं। अब निजी कारणों से पार्टी से इस्तीफा दे रही हूं। माना जा रहा है कि बारी मुर्मू पोटका विधानसभा से संभावित प्रत्याशी थीं लेकिन टिकट नहीं मिलने से नाराज बताई जा रही हैं।
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