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केदारनाथ गंगोत्री और यमुनोत्री धाम के कपाट शीतकाल के लिए जल्द ही बंद होने वाले हैं। केदारनाथ धाम के कपाट भैयादूज के दिन सुबह 8 बजकर 30 बजे बंद किए जाएंगे। यमुनोत्री धाम के कपाट भी भैयादूज पर और गंगोत्री धाम के कपाट एक दिन पहले अन्नकूट पर्व पर बंद किए जाएंगे। इस साल ये तीनों धाम 10 मई को खोले गए थे।

रुद्रप्रयाग। शीतकाल के लिए केदारनाथ धाम के कपाट बंद करने का कार्यक्रम तय हो गया है। धाम के कपाट भैयादूज पर्व पर तीन नवंबर को सुबह 8:30 बजे बंद किए जाएंगे। वहीं, परंपरा के अनुसार यमुनोत्री धाम के कपाट भी भैयादूज पर्व, जबकि गंगोत्री धाम के कपाट इससे एक दिन पूर्व अन्नकूट पर्व पर बंद किए जाएंगे।

इसके अलावा पंच केदार में चतुर्थ रुद्रनाथ धाम के कपाट 17 अक्टूबर को सुबह छह बजे बंद किए जाएंगे। तृतीय केदार तुंगनाथ धाम व द्वितीय केदार मध्यमेश्वर धाम के कपाट बंद होने की तिथि विजयदशमी पर्व पर तय की जाएगी।

केदारनाथ की चल-विग्रह उत्सव डोली का कार्यक्रम तय

श्री बदरीनाथ-केदारनाथ मंदिर समिति के मुख्य कार्यकारी अधिकारी विजय प्रसाद थपलियाल ने बताया कि भगवान केदारनाथ की चल-विग्रह उत्सव डोली का कार्यक्रम भी तय कर दिया गया है। चल-विग्रह उत्सव डोली तीन नवंबर को कपाट बंद होने के बाद रात्रि विश्राम के लिए रामपुर पहुंचेगी।

चार नवंबर को डोली विश्वनाथ मंदिर गुप्तकाशी में रात्रि विश्राम करेगी और पांच नवंबर को सुबह 8:30 बजे यहां से प्रस्थान कर 11:20 बजे ओंकारेश्वर मंदिर ऊखीमठ पहुंचकर अपनी शीतकालीन गद्दी पर विराजमान हो जाएगी।

10 मई को खोले गए थे तीनों धाम के कपाट

गौरतलब है कि केदारनाथ, यमुनोत्री व गंगोत्री धाम के कपाट इस वर्ष 10 मई को खोले गए थे। अब तक 13 लाख 699 तीर्थयात्री केदारनाथ, सात लाख 33 हजार 971 गंगोत्री और छह लाख 44 हजार 10 तीर्थयात्री यमुनोत्री धाम में दर्शन कर चुके हैं।

वहीं, चतुर्थ केदार रुद्रनाथ धाम के मुख्य पुजारी पं. वेद प्रकाश भट्ट ने बताया कि कार्तिक संक्रांति पर 17 अक्टूबर को धाम के कपाट बंद करने से पूर्व बाबा रुद्रनाथ की शिलामूर्ति को बुखला (हिमालयी पुष्प) के फूलों में समाधि दी जाएगी।

इसी दिन बाबा की विग्रह डोली पितृधार, पनार, ल्वींठी बुग्याल और ग्वाड़ गांव में जाख देवता के मंदिर होते हुए सूर्यास्त से पूर्व शीतकालीन गद्दीस्थल गोपीनाथ मंदिर गोपेश्वर पहुंचेगी। धाम के कपाट इस बार 18 मई को खोले गए थे। रुद्रनाथ धाम में अब तक 72 हजार से अधिक तीर्थयात्री दर्शन कर चुके हैं।

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