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'मार्च 2026 तक नक्सलवाद से मुक्त हो जाएगा देश', गृह मंत्री अमित शाह बोले- लड़ाई अब अंतिम चरण में

नक्सल प्रभावित छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार आने के बाद नक्सलवाद के खिलाफ लगातार एक्शन लिया जा रहा है। पिछले आठ महीने में 147 नक्सली मुठभेड़ में ढेर हो चुके हैं। 631 ने आत्मसमर्पण किया। केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने यह जानकारी साझा की। उन्होंने नक्सली कैडर से हथियार डालकर विकास की मुख्य धारा से जुड़ने की अपील की।

 रायपुर। देश 31 मार्च 2026 तक पूरी तरह से नक्सलवाद से मुक्त हो जाएगा। छत्तीसगढ़ और उसकी सीमाओं से सटे राज्यों के पुलिस महानिदेशकों और मुख्य सचिवों के साथ नक्सल विरोधी ऑपरेशन की समीक्षा के बाद शनिवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि निष्ठुर रणनीति के साथ नक्सलवाद (वामपंथी उग्रवाद) के पूरे इकोसिस्टम को ध्वस्त करना होगा।

छत्तीसगढ़ में जल्द नई सरेंडर पॉलिसी

नक्सलियों के सिकुड़ते क्षेत्र और उनके खिलाफ सुरक्षा बलों को मिलती सफलता का हवाला देते हुए शाह ने कहा कि नक्सलवाद के खिलाफ लड़ाई अंतिम चरण में है और इसे खत्म करने के लिए कड़ी कार्रवाई जारी रहेगी। उन्होंने नक्सलियों से हथियार डालकर विकास की धारा में शामिल होने की अपील की और जल्द ही छत्तीसगढ़ में नई सरेंडर पॉलिसी बनाने का भी एलान किया।

आठ महीने में 147 नक्सली ढेर

शाह के अनुसार छत्तीसगढ़ में भाजपा की सरकार आने के बाद पिछले आठ महीने में नक्सलियों के खिलाफ ऑपरेशन काफी तेज हुआ। 147 नक्सली मुठभेड़ में मारे गए, 631 ने सरेंडर किया और 723 को गिरफ्तार किया गया। यह एक रिकॉर्ड है। इस दौरान नक्सलियों के गढ़ में सुरक्षा बलों ने 33 नए कैंप भी स्थापित किए।

अन्य राज्यों में भाग सकते नक्सली

छत्तीसगढ़ में बढ़ते दबाव के कारण नक्सलियों के बाकी राज्यों में भागने की आशंका को देखते हुए इसकी सीमा से सटे सभी राज्यों यानी झारखंड, ओडिशा, आंध्र प्रदेश, तेलंगाना, महाराष्ट्र और मध्य प्रदेश के पुलिस महानिदेशकों और मुख्य सचिवों को भी बैठक में शामिल किया गया। शाह ने कहा कि सभी राज्य नक्सलियों की आवाजाही रोकने के लिए एकजुट हैं और केंद्रीय एजेंसियां उनकी पूरी मदद कर रही हैं।

आत्मसमर्पण का मौका देना प्राथमिकता

गृह मंत्री ने साफ किया कि नक्सली कैडर को आत्मसमर्पण का मौका देना सरकार की पहली प्राथमिकता है। इसके लिए छत्तीसगढ़ सरकार नई सरेंडर पॉलिसी लाने जा रही है और इसका लाभ छत्तीसगढ़ में सक्रिय दूसरे राज्यों के नक्सली भी उठा सकते हैं। हालांकि आत्मसमर्पण नहीं करने वाले नक्सलियों के सफाए का अभियान जारी रहेगा।

उन्होंने बैठक में नक्सलियों से मुक्त हुए इलाकों मे शत-प्रतिशत लोगों तक जनकल्याणकारी योजनाओं का लाभ पहुंचाने का भरोसा दिया। उन्होंने इन इलाकों में तीन स्तर पर विकास का भरोसा दिया, जिनमें लोगों के व्यक्तिगत से लेकर गांव और क्षेत्र का विकास भी शामिल है।

हर हफ्ते ऑपरेशन की होगी समीक्षा

शाह ने बैठक में ऑपरेशन और विकास के बीच तालमेल पर जोर दिया। इसके तहत पुलिस महानिदेशकों को हर हफ्ते नक्सली विरोधी ऑपरेशन की समीक्षा करने और मुख्य सचिवों को हर 15 दिन पर विकास योजनाओं के क्रियान्वयन की समीक्षा करने को कहा गया। नक्सलियों के सिकुड़ते जनाधार का आंकड़ा पेश करते हुए शाह ने कहा कि 2010 में देश के 107 जिले और 565 थाने नक्सल प्रभावित थे, जोकि अब 42 जिलों और 171 थानों तक सिमटकर रह गए हैं।

ये इलाके नक्सलवाद से मुक्त

शाह ने कहा कि मोदी सरकार के दौरान नक्सल विरोधी ऑपरेशन में अहम सफलता मिली है और पिछले 10 सालों में नक्सली मुठभेड़ों 53, सुरक्षा बल के जवानों की मौत में 73 और आम नागरिकों के मारे जाने की वारदातों में 69 प्रतिशत की कमी आई है। उन्होंने कहा कि 2019 से 2024 के बीच बिहार, झारखंड, ओडिशा, आंध्र प्रदेश और मध्य प्रदेश नक्सलवाद से मुक्त हो गए जबकि महाराष्ट्र भी एक जिले (गढ़चिरौली) को छोड़कर इस खतरे से मुक्त हो गया है।

एसआईए को किया जाएगा मजबूत

एनआईए और ईडी ने नक्सलियों के पूरे वित्तीय तंत्र को तोड़ने में मदद की है। तेंदु पत्ता की खरीद में नक्सली फंडिंग की आशंका को खत्म करने के लिए नई खरीद नीति बनाई जा रही है। इसी तरह से नक्सलियों के खिलाफ कानूनी कार्रवाई में तेजी लाने के लिए एनआईए की तर्ज पर गठित राज्य जांच एजेंसी (एसआईए) को मजबूत किया जाएगा।

संविधान में फिर नहीं आ सकता अनुच्छेद 370

शाह ने दो टूक कहा कि अनुच्छेद 370 और 35ए संविधान से निरस्त हो चुके हैं और अब यह कभी संविधान का हिस्सा नहीं बनेंगे। शाह ने नेशनल कॉन्फ्रेंस के घोषणापत्र में अनुच्छेद 370 और 35ए को वापस संविधान में लाने के बारे में पूछे गए सवाल का जवाब देते हुए ये बात कही। साथ ही कहा कि उनसे गठबंधन करने वाली कांग्रेस को जबाव देना चाहिए कि वह इसका समर्थन करती है या नहीं।

उचित समय पर कराई जाएगी जनगणना

शाह ने जनगणना से जुड़े एक सवाल पर कहा कि दशकीय जनगणना उचित समय पर कराई जाएगी। जब कार्यक्रम तय हो जाएगा, तब इसकी घोषणा कर दी जाएगी। जनगणना की कवायद एक अप्रैल से 30 सितंबर, 2020 तक पूरे देश में की जानी थी, लेकिन कोविड-19 के चलते इसे स्थगित कर दिया गया था।