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PUC प्रमाणित वाहन भी दिल्ली-गुरुग्राम में फैला रहे प्रदूषण, जांच से नहीं हो पाती पॉल्यूशन की सटीक पहचान

आइसीसीटी द्वारा दिल्ली और गुरुग्राम में एक लाख 11 हजार 712 वाहनों पर अध्ययन किया गया है। इसमें यह बात सामने आई है कि पीयूसी प्रमाणित वाहन भी सड़कों पर अधिक प्रदूषण फैला रहे हैं। पीयूसी जांच से वाहनों के पॉल्यूशन की सटीक पहचान नहीं हो पाती है। स्वच्छ ईंधन सीएनजी से चलने वाले वाहन भी सड़कों पर निर्धारित मानक से 14.2 गुना तक अधिक प्रदूषण फैला रहे हैं।

नई दिल्ली। सड़क पर फर्राटा भरते वाहनों के पास पीयूसी (पल्युशन अंडर कंट्रोल) प्रमाणपत्र हो, तो मान लिया जाता है कि उस वाहन से खास प्रदूषण नहीं हो रहा है। हाल में आइसीसीटी (इंटरनेशनल काउंसिल आन क्लीन ट्रांसपोर्टेशन) द्वारा किए गए एक अध्ययन में यह बात सामने आई है कि पीयूसी प्रमाणित वाहन भी सड़कों पर मानक से अधिक प्रदूषण फैला रहे हैं।

एक लाख 11 हजार 712 वाहनों का हुआ अध्ययन 

स्वच्छ ईंधन के रूप में स्वीकृत सीएनजी से चलने वाले वाहन भी धुएं में मानक से अधिक प्रदूषक तत्व छोड़ रहे हैं। आइसीसीटी ने दिसंबर 2022 से अप्रैल 2023 के बीच दिल्ली और गुरुग्राम में 20 जगहों पर एक लाख 11 हजार 712 वाहनों का अध्ययन किया गया। इस अध्ययन में दिल्ली के परिवहन विभाग व गुरुग्राम उपायुक्त कार्यालय ने भी सहयोग किया।

अध्यन में शामिल सभी लोकेशन पर 65 दिन तक रिपोर्ट सेंसिंग तकनीक से वाहनों से निकलने वाले धुएं में नाइट्रोजन ऑक्साइड, कार्बन मोनोऑक्साइड, हाइड्रो कार्बन, पार्टिकुलेट मैटर (पीएम), अल्ट्रावायलेट स्मोक की जांच की गई। वाहनों में दोपहिया, तिपहिया, निजी कार, टैक्सी, सामान ढोने वाले हल्के व्यवसायिक वाहन, बस व ट्रक शामिल थे।

व्यवसायिक वाहनों से ज्यादा हो रहा प्रदूषण

इस अध्ययन में 89 प्रतिशत वाहन बीएस चार व बीएस छह इंजन वाले शामिल थे। अध्ययन में पाया गया कि निजी वाहनों की तुलना में तिपहिया ऑटो, टैक्सी, हल्के व्यवसायिक वाहन व बसों से प्रदूषण अधिक हो रहा है। सभी प्रकार के वाहनों से नाइट्रोजन ऑक्साइड का उत्सर्जन मानक से 1.5-14.2 गुना अधिक पाया गया।

बीएस छह के चारपहिया वाहनों की श्रेणी में निजी कार व टैक्सी की तुलना में हल्के व्यवसायिक वाहनों से नाइट्रोजन ऑक्साइड का उत्सर्जन पांच गुना व दोगुना अधिक पाया गया। कार्बन मोनोऑक्साइड का उत्सर्जन क्रमश: सात गुना व छह गुना अधिक पाया गया। हाइड्रो कार्बन का उत्सर्जन क्रमश: पांच गुना व चार गुना अधिक पाया गया।

इसी तरह निजी कार की तुलना में टैक्सी से प्रदूषक तत्वों का उत्सर्जन अधिक पाया गया। कार की तुलना में ऑटो व तिपहिया वाहनों से उत्सर्जन पाया गया। बीएस चार के हल्के व्यवसायिक वाहनों से नाइट्रोजन ऑक्साइड का उत्सर्जन 25 गुना अधिक पाया गया।

बीएस तीन वाहनों से नाइट्रोजन ऑक्साइड का उत्सर्जन 1.9 गुना, बीएस चार के वाहनों से 3.2 गुना व बीएस छह वाहनों के से डेढ़ गुना अधिक पाया गया। बीएस तीन के वाहनों से कार्बन मोनोऑक्साइड का उत्सर्जन 1.2 गुना व बीएस चार के वाहनों से 2.4 गुना अधिक उत्सर्जन पाया गया।

CNG वाहनों के धुएं में नाइट्रोजन ऑक्साइड का उत्सर्जन अधिक

अध्ययन में कहा गया है कि सीएनजी को एक स्वच्छ वैकल्पिक ईंधन माना जाता है। फिर भी सीएनजी से चलने वाले वाहनों के धुएं में नाइट्रोजन ऑक्साइड का उत्सर्जन अधिक पाया गया। सीएनजी से चलने वाले हल्के व्यवसायिक वाहनों से नाइट्रोजन ऑक्साइड का उत्सर्जन मानक से 14.2 गुना और टैक्सियों से चार गुना अधिक पाया गया।

लिहाजा अध्ययनकर्ता प्रदूषण जांच में रिमोट सेंसिंग तकनीक का इस्तेमाल करने पर जोर दे रहे हैं। आइसीसीटी भारत के प्रबंध निदेशक अमित भट्ट ने कहा कि पहली बार इस तरह का अध्ययन किया है। इसलिए वाहनों की प्रदूषण जांच की मौजूदा व्यवस्था पर विचार किए जाने की जरूरत है।

अध्ययन में शामिल वाहनों के आंकड़े

  • अध्ययन में शामिल वाहन- 1,11,712
  • कार- 90 प्रतिशत
  • निजी कार- 75.4 प्रतिशत
  • टैक्सी- 14.4 प्रतिशत
  • दोपहिया व तिपहिया वाहन- छह प्रतिशत
  • हल्के व्यवसायिक वाहन- 2.5 प्रतिशत
  • बसें- 1.3 प्रतिशत
  • ट्रक- 0.2 प्रतिशत

विभिन्न ईंधन से चलने वाले अध्ययन में शामिल वाहन

  • पेट्रोल- 45 प्रतिशत
  • सीएनजी- 32 प्रतिशत
  • डीजल- 23 प्रतिशत

विभिन्न बीएस मानकों वाले वाहनों की संख्या

  • बीएस एक- 0.5 प्रतिशत
  • बीएस दो- 2.5 प्रतिशत
  • बीएस तीन- 8 प्रतिशत
  • बीएस चार- 55.5 प्रतिशत
  • बीएस छह- 33.5 प्रतिशत

अध्ययन में शामिल पेट्रोल, डीजल व सीएनजी से चलने वाले बीएस तीन, बीएस चार व बीएस छह इंजन वाले वाहनों की संख्या

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