Silkyara Tunnel Collapse: रेस्क्यू में खर्च पौने दो करोड़ का नहीं हुआ भुगतान, 17 दिन तक फंसे थे 41 श्रमिकों
नौ माह पूर्व उत्तराखंड की सिलक्यारा सुरंग में 17 दिन तक फंसे रहे 41 श्रमिकों के सकुशल रेस्क्यू किया गया था। बचाव अभियान में लाजिस्टिक उपलब्ध कराने में जिला प्रशासन व उत्तरकाशी आपदा प्रबंधन की महत्वपूर्ण भूमिका रही। एक अनुमान के मुताबिक इस रेस्क्यू में 100 करोड़ से अधिक खर्च हुए। जिसका भुगतान अभी तक नहीं किया गया है।
उत्तरकाशी: नौ माह पूर्व उत्तराखंड की सिलक्यारा सुरंग में 17 दिन तक फंसे रहे 41 श्रमिकों के सकुशल रेस्क्यू होने पर राज्य व केंद्र सरकार की खूब वाहवाही हुई थी।
एक अनुमान के मुताबिक इस रेस्क्यू में 100 करोड़ से अधिक खर्च हुए। इसमें से 1.77 करोड़ की धनराशि उत्तरकाशी जिला प्रशासन ने लाजिस्टिक पर खर्च की थी। लेकिन, अब भुगतान के लिए संबंधित व्यवसायी और संस्थाएं जिला प्रशासन का चक्कर काट रही हैं।
जिला प्रशासन को एनएचआइडीसीएल (नेशनल हाइवे इन्फ्रास्ट्रक्चर डेवलपमेंट कारपोरेशन) की ओर से भुगतान किया जाना है, जो अभी तक नहीं हुआ। जबकि, पिछले नौ माह में उत्तरकाशी के जिलाधिकारी कार्यालय से भुगतान के लिए सात बार एनएचआडीसीएल को पत्र भेजा जा चुका है।
निर्माणाधीन सुरंग में बीते वर्ष 12 नवंबर को हुआ था भूस्खलन
चारधाम परियोजना (आलवेदर रोड) के अंतर्गत यमुनोत्री हाईवे पर सिलक्यारा-पोलगांव-बड़कोट के बीच 4.5 किमी लंबी निर्माणाधीन सुरंग में बीते वर्ष 12 नवंबर को भूस्खलन हुआ। इस भूस्खलन से सुरंग के अंदर 41 श्रमिक 17 दिन तक फंसे रहे, जिन्हें निकालने के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर का बचाव अभियान चला। तब जाकर श्रमिक सकुशल निकाले जा सके।
बचाव अभियान में लाजिस्टिक उपलब्ध कराने में जिला प्रशासन व उत्तरकाशी आपदा प्रबंधन की महत्वपूर्ण भूमिका रही। लेकिन, लाजिस्टिक उपलब्ध कराने में जो खर्चा हुआ, उसका भुगतान करने के बजाय एनएचआइडीसीएल फाइल दबाए बैठा है।
जिलाधिकारी उत्तरकाशी डा. मेहरबान सिंह बिष्ट की ओर एनएचआइडीसीएल को सातवां पत्र 27 जुलाई 2024 को भेजा गया, जिसमें कहा गया कि होटल, वाहन चालक, विभिन्न संस्थाएं व व्यवसायी भुगतान न किए जाने की शिकायत लगातार जिला प्रशासन से कर रहे हैं। लिहाजा, लाजिस्टिक पर खर्च हुई धनराशि का अविलंब भुगतान किया जाए।
इन मद में खर्च हुई धनराशि
- बचाव अभियान में शामिल विशेषज्ञों पर
- श्रमिकों के स्वजन के खाने-ठहरने व्यवस्था पर
- श्रमिकों को एयरलिफ्ट कर देहरादून भेजने पर
- पेड़ों के पातन और पौधा रोपण पर
- पानी की निकासी के लिए लाइन बिछाने पर
- रेस्क्यू कार्य में लगी मशीनों के संचालन को ट्रांसफार्मर व बिजली लाइन बिछाने पर
- पेयजल निगम द्वारा उपलब्ध करवाए गए 800 व 900 एमएम व्यास के पाइप पर
- पुलिस कर्मियों के रहने-खाने पर
- रेस्क्यू में जुटे कर्मियों के लिए खाने की व्यवस्था व वाहनों के ईधन पर
- परिवहन विभाग द्वारा उपलब्ध कराए गए वाहनों पर
प्राकृतिक नहीं था हादसा
सिलक्यारा सुरंग में हुई घटना मानव जनित आपदा थी। यह हादसा प्राकृतिक आपदा की श्रेणी में शामिल नहीं है। इसलिए राज्य व केंद्र सरकार ने आपदा राहत कोष से रेस्क्यू की राशि का भुगतान करने से इनकार कर दिया। जिन विभागों ने बचाव अभियान में लाखों की धनराशि खर्च की, वह अब विभागों के गले पड़ी हुई है।
सूत्रों के अनुसार इस पूरे रेस्क्यू अभियान में राज्य व केंद्र की सभी एजेंसियों की ओर से 100 करोड़ से अधिक खर्च हुए। इस घटना से परियोजना के पूरे होने में जो विलंब हुआ, उससे बजट भी बढ़ गया है।
जिला प्रशासन के निर्देश पर प्रमुख विभागों की खर्च हुई धनराशि (लाख रुपये में)
- वन विभाग : 7.47
- ऊर्जा निगम : 14.15
- जल संस्थान : 18.86
- खाद्य आपूर्ति : 5.35
- जिला प्रशासन : 5.20
- संभागीय परिवहन : 3.20
- पेयजल निगम : 46
- आपदा प्रबंधन (एयरलिफ्ट) : 35
- पुलिस विभाग : 8.00
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