कभी साइबर ठगों का अड्डा, अब आतंकियों का शरणस्थल बना अरावली इलाका; पुलिस अभी तक थी अनजान
हरियाणा और राजस्थान बॉर्डर से लगता अरावली पहाड़ियों का एक इलाका जो कभी साइबर ठगों का अड्डा हुआ करता था। अब वह आतंकियों की शरणस्थली बन गया है। दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने हाल ही में यहां से छह आतंकियों को हथियार चलाने का प्रशिक्षण लेते हुए पकड़ा है। साइबर अपराधियों के बाद आतंकियों के पकड़े जाने के बाद यह देशभर में चर्चा का विषय बन गई है।
भिवाड़ी। हरियाणा के नूंह जिले के साथ लगते राजस्थान के अलवर तथा भरतपुर जिला तक जाने वाले अरावली पहाड़ी क्षेत्र के कुछ इलाकों से अभी तक साइबर ठग और गोतस्कर अपराध करते थे, लेकिन अब यह इलाका आतंकियों की शरणस्थली बनने लगा है।
बृहस्पतिवार को यहां के वन क्षेत्र से दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल ने छह आतंकियों को हथियार चलाने का प्रशिक्षण लेते हुए पकड़ा। आतंकी कुछ दिन पहले ही यहां आए थे, जिसकी भनक वन क्षेत्र से मात्र डेढ़ सौ मीटर दूर स्थित पुलिस नाके में रात में तैनात रहने वाले दो वनकर्मियों और चार पुलिसकर्मियों को भी नहीं लग पाई।
आतंकियों के पकड़े जाने के बाद से देशभर में चर्चा का विषय
यहां तक कि ग्रामीणों को भी इनके बारे में पता नहीं चला। पहाड़ी के ऊपरी स्थल के वन क्षेत्र को आतंकियों ने पनाह स्थली बनाया था। साइबर ठगों के बाद अब आतंकी पकड़े जाने के बाद से देशभर में यह इलाका चर्चा में है।
औद्योगिक मानचित्र पर अहम स्थान रखने वाले हरिह सटे राजस्थान के चौपानकी औद्योगिक क्षेत्र के निकट आतंकियों के प्रशिक्षण लेने की घटना से अरावली वन क्षेत्र की निगरानी पर सवाल उठने लगे हैं। चौपानकी में स्थित उद्योगों में बड़ी संख्या में दूसरे राज्यों के लोग काम करते हैं, जिनका ठीक तरीके से सत्यापन न होना भी चिंता की बात है।
मेवात इलाके में चार सौ से अधिक साइबर ठग गिरफ्तार
क्षेत्र के ग्रामीणों का कहना है कि चौपानकी के इस इलाके को अपराध स्थली बनने से रोकने के लिए हरियाणा व राजस्थान पुलिस को अपने-अपने इलाके में ऊंचाई वाले वाच टावर बनाकर ड्रोन से निगरानी करनी चाहिए।
ड्रोन से निगरानी कर इससे पूर्व पुलिस राजस्थान के मेवात इलाके में चार सौ से अधिक साइबर ठगों को गिरफ्तार कर चुकी है। इसके बाद से अपराधियों में पुलिस का खौफ पैदा हुआ है और साइबर ठगी के मामलों में कमी आई है।
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