सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोपरि है। कोर्ट ने बुधवार को मद्रास हाई कोर्ट के उस आदेश को रद कर दिया जिसमें गैरकानूनी गतिविधि निरोधक अधिनियम यानी यूएपीए के तहत गिरफ्तार पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के आठ सदस्यों को जमानत दी गई थी। पीठ ने हाई कोर्ट से पिछले साल 19 अक्टूबर को जमानत पाए आरोपितों को तत्काल आत्मसमर्पण करने और जेल जाने का निर्देश दिया।
- आतंकवाद से जुड़ा कोई भी कृत्य प्रतिबंधित किए जाने योग्य- SC
- मद्रास हाई ने पिछले साल यूएपीए के आरोपितों को दे दी थी जमानत
नई दिल्ली:- सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को मद्रास हाई कोर्ट के उस आदेश को रद कर दिया, जिसमें गैरकानूनी गतिविधि निरोधक अधिनियम यानी यूएपीए के तहत गिरफ्तार पॉपुलर फ्रंट ऑफ इंडिया (पीएफआई) के आठ सदस्यों को जमानत दी गई थी। कोर्ट ने कहा कि राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोपरि है।
कोर्ट ने आरोपियों को दिया आत्मसमर्पण का निर्देश
जस्टिस बेला एम त्रिवेदी और जस्टिस पंकज मिथल की पीठ ने हाई कोर्ट से पिछले साल 19 अक्टूबर को जमानत पाए आरोपितों को तत्काल आत्मसमर्पण करने और जेल जाने का निर्देश दिया। इन आठों पर देश के खिलाफ षड्यंत्र रचने और आतंकी गतिविधियों में शामिल होने के आरोप हैं। शीर्ष कोर्ट की पीठ ने फैसला सुनाते हुए कहा कि हाई कोर्ट द्वारा पारित आदेश को रद किया जाता है। शीर्ष अदालत ने टिप्पणी की कि इस तथ्य से इनकार नहीं किया जा सकता कि राष्ट्रीय सुरक्षा सर्वोपरि है और आतंकवाद से जुड़ा कोई भी कृत्य प्रतिबंधित किए जाने योग्य है।
मद्रास हाई कोर्ट से मिली थी जमानत
कोर्ट ने कहा कि वह मामले में दायर आरोप पत्र और एनआईए द्वारा पेश किए गए सबूतों और दस्तावेजों से संतुष्ट है और मानता है कि उन पर लगाए गए आरोप प्रथम दृष्टया सही हैं। पिछले साल अक्टूबर में मद्रास हाई कोर्ट की पीठ ने कहा था कि इन आठों आरोपितों के खिलाफ आतंकी गिरोह से जुड़े होने या आतंकी सामग्री की मौजूदगी के सुबूत नहीं होने की वजह से उन्हें जमानत दी जाती है। पीठ ने एनआईए द्वारा दाखिल याचिका पर बुधवार को यह फैसला सुनाया।
सितंबर 2022 में हुई थी गिरफ्तार
एनआईए ने मद्रास हाई कोर्ट द्वारा आरोपितों को दी गई जमानत को शीर्ष अदालत में चुनौती दी थी। आठ आरोपितों बरकतुल्लाह, इरदिस, मोहम्मद अबुताहिर, खालिद मोहम्मद, सईद इशाक, ख्वाजा मोहदीन, यासर अराफात और फयाज अहमद को सितंबर 2022 में गिरफ्तार किया गया था। पिछले साल 20 अक्टूबर को शीर्ष अदालत ने हाई कोर्ट के आदेश को चुनौती देने वाली एनआईए की याचिका पर सुनवाई तब टाल दी थी जब आतंकवाद विरोधी एजेंसी की ओर से पेश वकील रजत नायर ने इसे तत्काल सूचीबद्ध करने का अनुरोध किया था।
एनआईए ने अपनी याचिका में क्या कहा?
एनआईए ने अपनी याचिका में दावा किया कि पीएफआई एक कट्टरपंथी इस्लामी संगठन है और इसकी स्थापना भारत में मुस्लिम शासन स्थापित करने और देश का शासन केवल शरिया कानून के तहत चलाने के खतरनाक लक्ष्य की पूर्ति के लिए की गई है।
सरकार ने पीएफआई पर लगाया है प्रतिबंध
पीएफआई ने अपने मुखौटा संगठनों के जरिये तमिलनाडु की राजधानी चेन्नई के पुरासाइवक्कम में मुख्यालय की स्थापना की थी और विभिन्न जिलों में कार्यालय खोले थे। पूरे तमिलनाडु में इस्लामिक विचारधारा का प्रचार-प्रसार करने पर पीएफआई के कथित पदाधिकारियों, सदस्यों और काडर के खिलाफ प्राथमिकी दर्ज की गई थी। यहां बता दें कि मोदी सरकार पीएफआई को प्रतिबंधित कर चुकी है।
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